नरेन्द्र कुमार,
नई दिल्ली: जंगल के बीच प्रकृति की गोद में, जिम कॉर्बेट, उत्तराखंड में, 10 -13 नवंबर 2022 को मास्टर सिम्पोजियम ऑफ कॉस्मेटिक गायनेकोलॉजी नाम से दुनिया में अपनी तरह का पहला लक्ज़री और इनोवेटिव रीजेनरेटिव एस्थेटिक एवं फंक्शनल गायनेकोलॉजी सिम्पोजियम आयोजित किया गया, जिसमें वैज्ञानिक शिक्षा के साथ-साथ समग्र स्वास्थ्य पर चर्चा के लिए दुनिया भर से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
आईएएसआरएम के संस्थापक अध्यक्ष और संगोष्ठी के आयोजन अध्यक्ष ने कहा इस तरह की शैक्षणिक गतिविधियां और ज्ञान का आदान- प्रदान स्वास्थ्य देखभाल और समग्र स्वास्थ्य की परिभाषा को बदल देगा। यह रीजेनेरेटिव और कार्यात्मक चिकित्सा का युग है, जब विभिन्न अंतरंग और सौंदर्य प्रक्रियाओं के क्षेत्र में हुई प्रगति हो रही है,जिन समस्याओं पर चर्चा की गई उनमें तनाव मूत्र असंयम, खराब डिम्बग्रंथि रिजर्व, प्रारंभिक रजोनिवृत्ति, लाइकेन स्क्लेरोसस, वेजाइनीसिमस, वेजाइनल एट्रोफी आदि प्रमुख हैं।
आईएएसआरएम (स्टेमसेल और रीजेनरेटिव मेडिसिन का अंतर्राष्ट्रीय संघ) चिकित्सकों, शोधकर्ताओं और उद्योग विशेषज्ञों के बीच जागरूकता पैदा करता है और इस क्षेत्र में प्रगति के लिए विभिन्न प्रशिक्षण और लघु पाठ्यक्रम भी संचालित करता है।
विश्व के जिन अग्रणी और सम्मानित वक्ताओं ने अपनी विशेषज्ञता और ज्ञान का आदान-प्रदान किया, उनमें प्रमुख हैं: पद्मश्री डॉ. मंजुला अनागनी, डॉ. विद्या पंचोलिया, डॉ. अत्तिला फोगारासी,डॉ. मैट स्टेफानेली, प्रोफेसर डॉ.एलविरा ब्रातिला, प्रोफेसर अयमान कतवनेह, और डॉ. मनीष महाजन।
डॉ. कविता टोडकर, डॉ.निधि झा, और डॉ.अना मारिया मिहाई ने समग्र स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के मुद्दों पर अपने विचार साझा किए, जो स्वास्थ्य और प्रबंधन के क्षेत्र में समय की मांग है।
आईएएसआरएम के अध्यक्ष ने स्टेमसेल और रीजेनरेटिव मेडिसिन के क्षेत्र में प्रगति के बारे में भी बात की, जिससे दीर्घायु और मैटाबोलिक स्वास्थ्य के लिए आशा पैदा होती है। इनसे उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को भी धीमा किया जा सकता है यह कार्यक्रम हर साल होता है और अगले साल अक्टूबर में फिर से होगा।