नरेन्द्र कुमार,
नई दिल्ली: अक्सर ये प्रश्न उठता रहता है, कि डाक्टर भगवान का रुप होते हैं,जो मरीजों की जीवन की बीमारियों का ईलाज कर उनके जीवन के संकटमोचक बनते हैं, ऐसे में यदि डाक्टर सरकारी अस्पताल का हो और वो भी मृत प्राय मरीजों में जान फूंक दे, तो वास्तव में वो सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों के प्रति नकारात्मक भावनाओं का ना केवल अंत करता है, बल्कि मरीजों को भी जीने का जज्बा सिखाता है।
ऐसे ही एक सरकारी डाक्टर से आपको मिलवाते हैं, जिनका उद्देश्य सिर्फ़ और सिर्फ़ किडनी मरीजों की सेवा कर उनका जीवन बचाने का लक्ष्य निर्धारित है, दिन रात मरीजो की सेवा में तत्पर डाक्टर साहब कई बार अपना दिन का खाना भी भूल जाते हैं।..जी, हां,हम बात कर रहे हैं राजधानी दिल्ली के सुप्रसिद्ध सरकारी अस्पताल वर्द्धमान महावीर सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली के नैफ्रोलोजी विभाग के हैड आफ दा डिपार्टमेंट डाक्टर हिमांशु वर्मा का…जो वास्तव में अपने सेवा भाव से प्रत्येक रोगी व उसके साथ आए तीमारदारो में नए जीवन के संचार की प्रेरणा देकर उनका ईलाज करते हैं।
सौम्य, मृदुभाषी और मरीजो की सेवा में जुटे डाक्टर हिमांशु वर्मा ने पूरे इतने बड़े अस्पताल में अपनी अलग पहचान बनाई है। अस्पताल में प्रवेश करते ही सिक्योरिटी गार्ड्स से लेकर आम कर्मचारी तक फौरन आपको बता देंगे, कि नई बिल्डिंग के दूसरे माले पर डाक्टर साहब मरीजों की सेवा करते मिल जाएंगे।और हुआ भी ऐसा ही, डाक्टर साहब, सुबह के करीब 4 घंटे के राउंड पर वहां भर्ती प्रत्येक मरीज के पास जाकर उनका हाल-चाल पूछते हैं उन्हें जिंदगी जीने की नई प्रेरणा देते हैं।
डाक्टर हिमांशु के बारे में मरीजों का स्वयं कहना है कि लोग भले ही सरकारी अस्पताल के डाक्टरों के बारे में भला-बुरा कहते हो, लेकिन डाक्टर हिमांशु वर्मा ने इन सभी अवधारणाओं को गलत साबित कर अपना मुकाम हासिल किया है।