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रेलवे की नई योजना पर, ग्रामीण, अशिक्षित, वरिष्ठ नागरिकों सहित दिव्यांगजनो का फूटा गुस्सा।… *वाईटीएसके* का रेल मंत्रालय से योजना पर पुनर्विचार की मांग।

ByThe Dainik Khabar

Jul 11, 2025

नरेन्द्र कुमार,

 

नई दिल्ली: केन्द्र सरकार द्वारा रेलवे के टिकटों के शैडयूल में बिना किसी ठोस योजना के कार्यान्वित करने को लेकर सीधे – साधे ग्रामीणों, अशिक्षितों, वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनो रेल यात्रा करने के लिए अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। रेलमंत्री द्वारा पिछले एक सप्ताह से लागू योजना से गांव, देहात, कस्बो, पिछड़े इलाको के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

सरकार द्वारा संबद्ध यात्रा टिकट सुविधा केन्द्र (वाईटीएसके) के माध्यम से पहले उपरोक्त लोगों को आसानी से सुगम यात्रा के लिए टिकटें मिल जाती थी, लेकिन सरकार के नए नियमों ने ना केवल आम यात्रियों की परेशानी बडा दी है, वही बिना किसी ठोस योजना के इसको लागू करने से लंबी दूरी की ट्रेने खाली जा रही है, जिससे की रेलवे को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।

वाईटीएसके के वरिष्ठ पदाधिकारी श्री आर.के. बंसल ने बताया, कि संस्था सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है और रेलवे के टिकटों के आरक्षण के लिए पहले प्राथमिकता हमें थी, लेकिन रेल मंत्रालय की इस महत्त्वाकांक्षी योजना को बिना किसी ठोस नीति के जारी करने से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

श्री बंसल ने कहा, कि इससे सरकार की यह योजना असुविधा की प्रतीक बन गई है जिससे रेलयात्रियों को समय पर टिकट नही मिल रही है और रेलवे को संस्था के माध्यम से होने वाले राजस्व पर भी भारी मार पड रही है। उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपयों के निवेश के बाद भी आज सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एजेंट भारी नुक़सान झेल रहे हैं।

श्री बंसल ने कहा, कि वाईटीएसके एजेंट के लिए 12 लाख रुपयो का लाईसेंस शुल्क, आफिस का खर्च, हजारों कर्मचारियों का वेतन, ईएमआई, इंटरनेट और रखरखाव आदि जिम्मेदारियां तो है, लेकिन टिकट बिक्री के समय प्रतिबंधों और सर्विस चार्ज में 13 वर्षों से वृद्धि ना होने के कारण ना केवल व्यापार चौपट हो रहा है, बल्कि इसमें काम करने वाले हजारों परिवार भूखमरी के कगार पर आ जाएंगे।

वाईटीएसके के एक अन्य पदाधिकारी श्री कार्तिक गोयनका ने कहा, कि सरकार भले ही इस योजना को महत्त्वाकांक्षी बता रही हो लेकिन सत्यता यह है, कि इंटरनेट के युग से दूर रह रहे सीधे-सादे करोड़ों यात्री टिकट ना मिल पाने पर दुविधा में है। श्री गोयनका ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में जब वाईटीएसके काउंटर खुलते हैं, तब तक अधिकतर टिकट आईआरसीटीसी या अन्य पोर्टलो के माध्यम से बिक चुके होते हैं, जिससे देश का एक बहुत बडा वर्ग यात्रा करने से वंचित रह जाता है।

संस्था ने रेल मंत्रालय से मांग की है, कि यात्री टिकट सुविधा केन्द्रो को पीआरएस काउंटरों की तरह सुविधा दी जाए, तत्काल और एडवांस बुक करवाई टिकटों पर समय सीमा के प्रतिबंध को हटाया जाए, सेवा शुल्क बढाया जाए, योजना का गजट नोटिफिकेशन जारी हो ताकि कानूनी स्पष्टता आए। उन्होंने कहा, कि वैसे भी वाईटीएसके के सभी काउंटर सीधे रेलवे सर्वर से जुड़े हैं जिससे की रेलवे टिकटों की कालाबाजारी किसी कीमत पर नही की जा सकती। श्री गोयनका ने कहा, कि समय रहते रेल मंत्रालय ने इस योजना में सुधार नहीं किया तो रेलवे के राजस्व को दूरगामी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, साथ ही राजस्व को भी भारी नुक़सान होगा। उन्होंने कहा, कि इस गंभीर विषय को लेकर रेलमंत्री और प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया जाएगा।

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