नरेन्द्र कुमार,
नई दिल्ली: समाज में बढते हुए दहेज के प्रचलन के ताबूत में अंतिम कील ठोकते हुए न्यायाधीश श्री गौरव दहिया ने अपनी जीवन संगिनी निशु के साथ सात फेरे लेकर अपने उज्जवल नवजीवन की शुरुआत की। मात्र एक रुपये का शगुन लेकर उन्होंने अपने माथे से लगाकर दुल्हन ही दहेज है, कि कहावत को चरितार्थ कर दिखाया।
दिल्ली के सतबाडी स्थित छतरपुर के सेन्ट्रल फर्न्स एंड पेटल्स में आयोजित एक सादे समारोह में श्री गौरव दहिया ने कहा, कि मेरे माता-पिता के संस्कार और मेरे गुरु ने हमेशा मुझे प्रेरित किया था,कि बेटा जीवन में किसी भी मुकाम पर पहुंच जाना, लेकिन दहेज जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए अपना पूरा जीवन लगा देना, बस उसी का अनुपालन करते हुए, मैंने निर्णय लिया है, कि मैं आज श्री राजबीर सिंह नैन साहब की लाडली बिटिया निशु को अपनी जीवनसंगिनी बना रहा हूं।
उन्होंने कहा, कि अब हम अपने न्याय कर्म के साथ साथ इस सामाजिक कुप्रथा के खात्मे के लिए हम दोनों पति-पत्नी काम करेंगे। श्री दहिया ने कहा,कि एक माता-पिता बडे श्रम से अपनी बिटिया का लालन-पालन करता है,उसे अच्छे से पढाता लिखाता है,और जब वो विवाह योग्य हो जाती है। तो उसके माता-पिता चिंतित रहते हैं, कि अच्छा जीवन साथी मिलेगा,तो दहेज भी देना पड़ेगा और इस प्रकार की सोच से उन माता पिता पर क्या बितती है,उसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल होता है।
इसलिए मैंने स्वयं यह पहल कर समाज में दहेज रहित विवाह की लौ प्रज्वलित कर दी है, आगे आने वाले समय में हमारे देश की युवा पीढ़ी इसे अपनाएगी,ऐसा मेरा विश्वास है। बहरहाल, न्यायाधीश श्री गौरव निशु दहिया आने वाले समय में मिसाल कायम करेंगे।