नरेन्द्र कुमार,
नईं दिल्ली: दिल्ली पंचायत संघ दिल्ली प्रदेश ने पंच प्रमुखों की बैठक में दिल्ली नगर निगम की पांचवीं वैल्यूएशन कमेटी पर गांवों के हाउस टैक्स निर्णय लेने पर आपत्ति जताई है।
(पंचायत संघ प्रमुख थान सिंह यादव,)
पंचायत संघ प्रमुख थान सिंह यादव का कहना कि इस कमेटी में एक भी अधिकारी दिल्ली मूल व दिल्ली देहात का नहीं है नाहि कोई सदस्य। इसलिए गांवों की मजबूरी को समझना इनके लिए जरूरी नहीं रहा है। इस कमेटी के निर्णय से पहले 461 आपत्तियाँ दर्ज की गई है। जिसमें गांवों की भागीदारी ना के बराबर है। जिन RWA ने गांवों को लेकर टिप्पणी की है उनका गांवों से कोई लेना- देना नहीं है।
इसके विपरीत जिस RWA ने DDA व नगर निगम से मिलकर आवासीय को व्यवसायिक श्रेणी में मकानों को कर रखा है। इस पर गांवों की कोई आपत्ति नहीं रही। लेकिन अब गांवों की भी सरकार से मांग है कि जिस कृषि भूमि को आवासीय कालोनी के लिए अधिग्रहण किया था। वहां किसी को भी व्यवसायिक श्रेणी में नहीं करें। ओर जो रोड व्यवसायिक श्रेणी में हैं। उन्हे तुरंत आवासीय श्रेणी में करें।
पंचायत पंच प्रमुख शिव कुमार यादव का कहना है कि इस कमेटी ने गांवों को ज्यादातर तीन श्रेणी में डाला है इसमें F,G,H कैटिगरी हैं। F,G, कैटिगरी शहरी क्षेत्र के हिसाब से है। इस कैटिगरी के गांवों में सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। इन गांवों में बारातघर, पार्किंग, पार्क, नाली, सडकें तक नहीं है। इसके उपरांत भी दिल्ली के गांवों से हाउस टैक्स की वसूली हो रही है।
पंचायत संघ सह प्रमुख सुनील शर्मा ने उपराज्यपाल दिल्ली व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मांग की इस कमेटी की सिफारिशों व कमेटी को भंग कर पुनः नईं कमेटी का गठन किया जाए। जिसमें गांवों की पंचायतों व दिल्ली देहात के सभी पार्टियों के नेताओं को शामिल कर गांवों पर हाउस टैक्स पर कोई निर्णय लिया जाए। ओर जब तक दिल्ली नगर निगम द्वारा गांवों में हाऊस टैक्स के नोटिस व सीलिंग की कार्रवाई पर रोक लगा दी जाए। पंचायत संघ प्रमुख थान सिंह यादव ने दिल्ली की तीनों पार्टी प्रदेशाध्यक्षों से मांग की कि इस मुद्दे को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल से मिलकर गांवों की आवासीय व व्यवसायिक श्रेणी की सभी संपत्तियों को हाऊस टैक्स से मुक्त करवायें।