नरेन्द्र कुमार,
नई दिल्ली: “दिल्ली महिला आयोग” ने दिल्ली में LGBTQI+ समुदाय के सामने आने वाली समस्याओं पर स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग अपने ट्रांसजेंडर सेल के माध्यम से LGBTQI + व्यक्तियों के साथ नियमित रूप से संपर्क में रहता है और उनके सामने आने वाली समस्याओं को हल करने में उनकी ही सम्भव सहायता करता है। हालाँकि, LGBTQI+ व्यक्तियों को देश में और यहाँ तक कि राजधानी में भी कई गम्भीर मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है।
इस संबंध में, आयोग ने दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग को एक नोटिस जारी कर दिल्ली में LGBTQI+ समुदाय के हित एवं अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण मांगा है।
विभाग को यह सूचित करने के लिए कहा गया है कि क्या दिल्ली में ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 को अधिसूचित किया गया है। यदि ऐसा नहीं किया गया है, तो विभाग को नियम को लागू करने में देरी के कारणों को बताने के लिए कहा गया है। इसके अलावा, विभाग को ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड की स्थापना के बारे में जानकारी देने को कहा है और यदि स्थापित नहीं हुआ है, तो उसके कारण बताने को कहा है। दुख की बात है कि दिल्ली में ट्रांसजेंडरों के लिए एक भी शेल्टर होम नहीं है। विभाग को इस मुद्दे पर किसी भी लंबित प्रस्तावों की जानकारी देने के लिए कहा गया है।
आयोग ने समाज कल्याण विभाग को अपने नोटिस में ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के प्रचार प्रसार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण भी मांगा गया है।
इसके अलावा आयोग ने दिल्ली में ट्रांसजेंडर प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में जांच शुरू की है। आयोग ने दिल्ली के सभी जिलाधिकारियों को नोटिस जारी कर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों द्वारा प्रमाण पत्र जारी करने हेतु जमा किए गए आवेदन पत्रों के विवरण के साथ-साथ लिंग परिवर्तन प्रमाण पत्र हेतु प्राप्त किए गए आवेदनों के बारे में जानकारी मांगी गयी है। विभाग को प्राप्त आवेदनों की संख्या के साथ साथ जारी किए गए, खारिज किए गए और लंबित प्रमाण पत्रों की संख्या के बारे में पूरी जानकारी देने के लिए कहा गया है। उपरोक्त कानून में सभी आधिकारिक दस्तावेजों में ट्रांसजेंडरों के नाम में बदलाव की सुविधा प्रदान करने का प्रावधान भी है।
आयोग ने सभी जिलों से ऐसे आवेदनों की संख्या के बारे में भी सूचना मांगी है जिसमें खारिज किए गए आवेदन के सन्दर्भं में ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के समक्ष अपील की गई हों। इसके अलावा, आयोग ने जिलाधिकारियों से SOP का पालन करने, प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए उठाए गए कदमों और प्रमाण पत्र के आवेदन के लिए डीएम कार्यालय आने वाले ट्रांसजेंडरों की सहायता करने के बारे में पूछा है।
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा है, “LGBTQI+ समुदाय को देश में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें राजधानी में भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उनके अधिकारों और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। मैंने समाज कल्याण विभाग, दिल्ली सरकार और सभी जिलाधिकारों को नोटिस जारी कर सरकार द्वारा समुदाय के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है. यह बेहद दुखद है कि राजधानी में ट्रांसजेंडरों के लिए एक भी सेल्टर होम नहीं है। हम राजधानी में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करने के लिए इन मुद्दों पर काम करेंगे।”