नरेन्द्र कुमार,
नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली के यमुनापार का झिलमिल वार्ड चुनावी रंग में आकर्षण का केंद्र बन गया है। देखा जाए, तो यहां दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल, व कांग्रेस कार्यकाल में मंत्री रहे डा. नरेन्द्र नाथ का गृह क्षेत्र भी है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी ने भी झिलमिल वार्ड से क्षेत्र के लोकप्रिय ईमानदार व निर्भिक कार्यकर्ता पंकज लूथरा को मैदान में उतारकर सीट में रोमांचक नजारा देखने को मिलेगा।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार पंकज लूथरा का क्षेत्र में इतना दबदबा है, कि उसकी लोकप्रियता घर – घर के लोगों के दिलों में बसती है। लूथरा कांग्रेस से लड़ते हैं, तो जीत जाते हैं, उनकी श्रीमती जी चुनाव लडे वो जीत जाती है, निर्दलीय लडे तो जीत जाते हैं, ऐसी परिस्थिति में पंकज लूथरा को जन सेवा का टिकट देने वाला खुद को सौभाग्यशाली मानकर ये दाव जरुर लगा देता है,कि झिलमिल वार्ड तो इस बार भी भाजपा के खाते में आएगा।
इतना ही नही पंकज लूथरा की लहर और जनता के प्यार दुलार के कारण शाहदरा विधानसभा की सीट दिलशाद कालोनी और शाहदरा भी भाजपा के पक्ष में जाती दिखाई दे रही है। चुनाव प्रचार के दौरान पंकज लूथरा से बात करने पर उन्होंने साफ कहा, कि मेरे क्षेत्र की जनता मेरा विश्वास है,,वो मुझे अपने बेटे -भाई के रुप में मानती है,तो मेरा भी फर्ज बनता है, कि मैं अपना दायित्व निभाऊ।
लूथरा ने कहा,कि इस चुनाव में मेरी जीत से दो दिग्गजों की जमीन हिलने वाली है,उन दोनों की एकजुटता को लोग समझ चुके हैं। उन्हें भी पता है, कि पंकज के जीतने से आम आदमी पार्टी और गर्त मे जा रही कांग्रेस क्षेत्र में अपना अस्तित्व भी नही बचा पाएगी। उन्होंने अभी से साफ स्पष्ट किया,कि मेरे साथ मेरी क्षेत्र की जनता है,और मेरी यही जीत मेरे क्षेत्र की जनता की जीत होगी। उन्होंने कहा,कि मुझे खुशी इस बात की है,कि मुझे सभी वर्गों का भरपूर प्यार मिल रहा हूं,लोग खुद मेरे लिए प्रचार कर रहे हैं।
संभवतः 7 दिसम्बर को क्षेत्र से आप और कांग्रेस के प्रत्याशियों को अपनी जमानते बचाना मुश्किल होगा। ये लोग कितने भी मेरे खिलाफ षड्यंत्र कर ले, लेकिन मेरी सभी बड़ी पूंजी मेरे क्षेत्र की जनता मेरे साथ है,और मैं निश्चित रुप से इस सीट से विजयी होकर क्षेत्र को माॅडल वार्ड बनाकर रहूंगा। बहरहाल,उनके साथ उमड़ा जनसैलाब देखकर ऐसा लगा,कि हम वार्ड के चुनावों में नही , बल्कि विधानसभा के चुनाव में आएं हो। प़कज की लोकप्रियता के आगे विपक्षियों को पसीने आना स्वाभाविक है।